|| जय जय राम कृष्ण हरी ||
युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा – आरती
युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा।
वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा।
पुंडलिकाचे भेटी परब्रह्म आलें गा।
चरणीं वाहे भीमा उद्धरी जगा।।१।।
जय देव जय देव जय पांडुरंगा।।
रखुमाईवल्लभा राहोच्या वल्लभा पावें जिवलगा।। धृ.।।
तुळसींमाळा गळां कर ठेवुनि कटीं।
कांसे पीतांबर कस्तुरि लल्लाटीं।
देव सुरवर नित्य येती भेटी।
गरुड हनुमंत पुढें उभे राहती।। जय।।२।।
धन्य वेणूनाद अनुक्षेत्रपाळा।
सुवर्णाचीं कमळें वनमाळा गळां।
राई रखुमाई राणीया सकळा।
ओंवाळिती राजा विठोबा सांवळा।। जय।।३।।
ओंवाळूं आरत्या कुर्वड्या येती।
चंद्रभागेमाजीं सोडुनियां देती।
दिंड्या एताका वैष्णव नाचती।
पंढरीचा महिमा वर्णांवा किती।। जय।।४।।
आषाढी कार्तिकी भक्तजन येती।
चंद्रभागेमध्यें स्नानें जें करिती।
दर्शनहेळामात्रें तयां होय मुक्ती।
केशवासी नामदेव भावे ओंवाळिती।। जय देव जय देव जय।।५।।